शिवराज बने रहेंगे,खट्ट नपेंगे?

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भारतीय जनता पार्टी में अब इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि उत्तराखंड और कर्नाटक के बाद किसकी बारी है? किस राज्य का मुख्यमंत्री बदला जाएगा? कुछ समय पहले तक भाजपा मुख्यमंत्रियों को नहीं बदलती थी। नरेंद्र मोदी और अमित शाह के पार्टी की कमान संभालने के बाद एकमात्र बदलाव गुजरात में हुआ था, जब आनंदी बेन पटेल को हटा कर विजय रूपाणी को बनाया गया था। लेकिन पिछले छह महीने में भाजपा ने तीन मुख्यमंत्री बदल दिए। पहले उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटा कर तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया और फिर तीरथ सिंह को हटा कर पुष्कर सिंह धामी को कमान सौंपी गई। उसके बाद कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा को हटा कर बासवराज बोम्मई को मुख्यमंत्री बनाया गया है। कोशिश तो यूपी में भी हुई पर वो योगी के कद व संघ के हस्तक्षेप के कारण सफल नहीं हो सकी।

पर मौजूदा हालात को देखते हुए अब भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री आशंकित हो गए हैं। उनको लग रहा है कि उनकी कुर्सी अब पहले की तरह बहुत सुरक्षित नहीं है और वे इस फॉर गारंटेड नहीं ले सकते हैं। तभी सवाल है कि क्या अगले कुछ दिनों में भाजपा कुछ और मुख्यमंत्री बदल सकती है? भाजपा के एक जानकार नेता का कहना है कि ऐसे किसी मुख्यमंत्री को नहीं हटाया जाएगा, जिसका असर उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों के चुनाव पर पड़े। इसका मतलब है कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की कुर्सी सुरक्षित है। इसका कारण यह है कि वे भाजपा के इकलौते ओबीसी मुख्यमंत्री हैं और पार्टी उत्तर प्रदेश में ओबीसी, एससी की ही राजनीति कर रही है। जिन राज्यों में चुनाव होने वाले हैं वहां के मुख्यमंत्री अब नहीं बदले जाएंगे। लेकिन जहां बाद में चुनाव हैं वहां बदलाव हो सकता है। अभी कहा जा रहा है कि दो राज्यों में भाजपा बदलाव कर सकती है।

इनमें एक राज्य त्रिपुरा है, जहां कई महीनों से विधायकों की बगावत चल रही है। दूसरा राज्य हरियाणा हो सकता है। किसान आंदोलन और जाट, सिखों की नाराजगी ने भाजपा को मुश्किल में डाला है। मुख्यमंत्री से किसानों की नाराजगी बढ़ी है और कई जगह उनके खिलाफ प्रदर्शन हुए हैं। इसलिए वहां बदलाव की संभावना है। एक और बड़ा परिवर्तन होने के आसार हैं। भाजपा अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में ज्यादातर राज्यों में मुख्यमंत्रियों के दावेदार घोषित करके चुनाव लड़ेगी। सिर्फ पंजाब इसका अपवाद हो सकता है। हालांकि पार्टी ने वहां भी यह ऐलान कर दिया है कि भाजपा की सरकार बनेगी तो कोई दलित मुख्यमंत्री बनेगा। इस घोषणा से ठीक पहले पार्टी ने पंजाब भाजपा के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय सांपला को राष्ट्रीय अनुसूचित आयोग का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया, जिससे अपने आप यह मैसेज बना कि भाजपा का दलित मुख्यमंत्री सांपला हो सकते हैं। गोवा में पार्टी मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के चेहरे पर लड़ेगी।

उत्तराखंड में भाजपा ने इसी महीने पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाया है। उनसे पहले इस विधानसभा में दो मुख्यमंत्री रहे। चुनाव से आठ महीने पहले धामी को मुख्यमंत्री बनाने का मतलब ही है कि पार्टी उनके चेहरे पर चुनाव लड़ेगी। वे भी प्रमोद सावंत की तरह युवा हैं और उाराखंड में भाजपा का भविष्य हैं। अगले साल के शुरू में जिन पांच राज्यों में चुनाव होने वाले हैं उनमें पूर्वोत्तर का एक राज्य मणिपुर भी है। वहां एन बीरेन सिंह मुयमंत्री हैं। वे प्रदेश में बची-खुची कांग्रेस को भी खत्म करने में लगे हैं। तभी इस बात की संभावना कम है कि पार्टी उनको चेहरा घोषित करके चुनाव नहीं लड़े। सो, इस तरह चार राज्य- उार प्रदेश, उाराखंड, गोवा और मणिपुर में पार्टी का चेहरा घोषित है। पंजाब में नाम की घोषणा नहीं हुई है लेकिन वहां भी अंदाजा है कि पार्टी का चेहरा कौन है? अगले साल के अंत में हिमाचल प्रदेश और गुजरात में भी विधानसभा के चुनाव होंगे। हिमाचल में ज्यादा संभावना है कि पार्टी जयराम ठाकुर के चेहरे पर ही लड़े। तो कुल मिलाकर समय के हिसाब से भाजपा रणनीति चल रही है, बाकी दल शांत हैं।

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