योगी से सीखें बाकी मुख्यमंत्री

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तीन तलाक से पीडि़त मुस्लिम महिलाओं के लिए छह हजार रुपया सलाना की आर्थिक मदद की घोषणा करके उस नारी समाज को अधिकार सम्पन्न करने का मार्ग प्रशस्त किया है जो पुरुषों के अन्याय का शिकार रहता आया है। चिन्मयानन्द के खिलाफ बलात्कार का आरोप हो या हनी ट्रैप जैसी घटनाएं- देखा जा रहा है कि किसी भी क्षेत्र में गलत हथकंड़ों में महिला का दुरुपयोग किया जाता है, शोषण किया जाता है, उनके जीवन निर्वाह को बाधित किया जाता है, इज्जत लूटी जाती है और हत्या कर देना मानो आम बात हो गई है। आखिर कब तक नारी को दोयम दर्जा दिया जाता रहेगा? कब तक वह जुल्मों का शिकार होती रहेगी? कब तक अपनी मजबूरी का फायदा उठाने देती रहेंगी ? दिन-प्रतिदिन देश के चेहरे पर लगती यह कालिख को कौन पोछेगा? यह एक ऐसा सवाल है जो हर मोड़ पर खड़ा होता है और निरूत्तर रह जाता है। लेकिन अब फिजाएं बदल रही है, नयी सोच एवं नई दिशाएं उद्घाटित हो रही हैं।

नारी जाति में अभिनव स्फूर्ति, अटूट आत्मविश्वास एवं गौरवमयी जीवनशैली को उकेरने वाला योगी सरकार का यह निर्णय देश और दुनिया की मुस्लिम महिलाओं को एक नयी दिशा प्रदत्त करेगा, ऐसी आसा है। ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता’ कहते हुए समाज में स्त्रियों के सम्मान की जो बात कही गई है, वैसा आज देखने को नहीं मिल रहा है। लेकिन योगी सरकार ने एक अपवाद के रूप में न केवल मुस्लिम तलाक शुदा महिलाओं को बल्कि इसके साथ ही हिन्दू समाज की परित्यक्ता नारियों को भी इतनी ही राशि की मदद देने का ऐलान करके सम्पूर्ण नारी समाज में उम्मीद की, सम्मानपूर्ण जीवन की एवं स्वाभिमान की संभावनाओं को प्रकट किया है। इससे सम्पूर्ण नारी समाज को न्याय मिलने की संभावना बढ़ेगी। तीन तलाक कानून पर भारत की संसद की मुहर लग जाने के बाद ये सवाल उठाये जा रहे थे कि सरकार ने इस प्रकार अपमानित व पीडि़त महिला के आत्म-सम्मान को तो सुरक्षित करने का प्रबंध किया लेकिन उनके आर्थिक जीवन को आसान बनाने के लिए कोई कानूनी प्रावधान नहीं किये हैं।

जिसकी वजह से कानून बन जाने के बावजूद मुस्लिम महिलाओं को प्रताड़ना में जीना पड़ सकता है, परन्तु योगी के इस कदम से दूसरे राज्य की प्रेरणा लेकर इसी प्रकार के फैसले करेंगे, इसकी उम्मीद की जानी चाहिए। इससे नारी जीवन में एक नई भोर का आभास होगा। तीन तलाक का मसला मुस्लिम महिलाओं के लिये एक विडम्बना एवं त्रासदी बन गया था। मुस्लिम पुरुषों द्वारा धर्म के नाम पर जिस तरह ‘इस्लामी तीन तलाक प्रथा’ का मजाक बनाकर एक ही झटके में तीन बार तीन तलाक लिखकर या बोल देने को परंपरा बना दिया गया था उससे इस्लाम द्वारा निर्धारित तलाक प्रक्रिया की ही धज्जियां उड़ रही थीं और महिला समाज यह दर्द, त्रासदी एवं पीड़ा झेलने के लिए मजबूर हो रही थी, लेकिन तीन तलाक के खिलाफ सगत दंडात्मक कानून बनाये जाने से रोशनी मिलने के साथ-साथ यह जायज सवाल खड़ा हो रहा था कि अपने पतियों के खिलाफ ऐसे मामलों में कानून की शरण लेने वाली मुस्लिम महिलाओं का आर्थिक स्रोत क्या होगा जिससे वे अपना एवं अपने बाल-बच्चों का भरण-पोषण कर सकें ?

योगी सरकार का ध्यान इस ओर गया तो निश्चित ही यह उनकी सकारात्मक एवं व्यापक सोच का द्योतक हैं। भले ही छह हजार रुपए वर्ष की धनराशि अपर्याप्त है। लेकिन प्रारंभ में यह मदद महिला को बेसहारा नहीं रहने देगी। इसके साथ ही श्री योगी ने ऐसी महिलाओं के शिक्षित होने पर उन्हें सरकारी नौकरियों में वरीयता देने और उनके बाल-बच्चों की नि:शुल्क शिक्षा व्यवस्था करने का भी वादा किया है। ठीक यही सुविधाएं उन हिन्दू औरतों को भी दी जायेंगी जिनके पतियों ने उन्हें छोड़ कर अवैध रूप से दूसरी महिला के साथ रहने का जुगाड़ लगा लिया है। हिन्दू आचार संहिता के तहत दूसरा विवाह करने पर कठिन सजा का प्रावधान है और वित्तीय मदद का भी विधान है, लेकिन मुस्लिम महिलाओं के सन्दर्भ में ऐसा कोई कानूनी प्रावधान नहीं था।

नारी को हाशिया नहीं, पूरा पृष्ठ चाहिए क्योंकि नारी अपनी भीतर संपूर्णता को समेटे हुए जीवन की कठिनाइयों की राह पर अकेले आगे बढ़ते हुए पूरा सफर तय कर देती है। ना माथे पर शिकन, ना आंखों में शिकायत, बस होठों पर मधुर मुस्क राहट बिखेरते हुए धैर्य की मूर्ति-सी प्रतीत होती है। भारत देश में नारी का स्थान सदा से ही ऊंचा रहा है। सभी धर्म ग्रंथों में नारी का दर्जा श्रेष्ठ ही रहा है और नारी को देवी का दर्जा भी दिया है इस देश में। समय के साथ-साथ नारी ने अपनी भूमिका हर जगह पर निभाई है। सीता ने संपूर्ण नारी जाति को संस्कार व शालीनता की राह दिखाई तो रणक्षेत्र में दानवों का दलन करने वाली दुर्गा भी बनी। सावित्री बनकर यमराज को भी अपना निर्णय बदलने पर मजबूर कर दिया, तो युद्ध के मैदान में झांसी की रानी बनकर पूरी नारी जाति को अपने अंदर छिपी हुई असीम शक्ति को पहचानने के लिए भी प्रेरित किया।

ललित गर्ग
(लेखक स्तंभकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)

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