मन, वचन और कर्म से सच्चे बनें तभी रक्षाबंधन सार्थक

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रक्षा के बंधन का पर्व रक्षाबंधन तीन मायनों में मनुष्य के लिए महत्वपूर्ण है। मानव मन, वचन और कर्म से इस बंधन को सार्थक करे तो ही इस पर्व का सही संदेश मानव जीवन में माजा जाएगा। इन्ही तीन बातों का मानव तक पहुंचाने के लिए रक्षाबंधन के दिन बहनों द्वारा भाइयों को टीका लगाने के बाद मुंह मीठा कराकर उनको राखी बांधी जाती है। ताकि वह मस्तिष्क से अच्छे विचार पैदा कर वाणी से मधुर हों और हाथों से अच्छे कर्म करें। यह बातें प्रजापिता ब्रह्मकुमारीज ईश्वरीय विश्वविद्यालय मेरठ केन्द्र की प्रभारी बीके सुनीता जी ने सुभारती मीडिया लिमिटेड में आयोजित रक्षाबंधन कार्यक्रम के दौरान कहीं। इस दौरान उन्होंने समस्त कर्मचारियों को टीका कर मिठाई खिलाकर राखियां बांधी।

उन्होंने कहा कि हर साल रक्षाबंधन त्योहार मनाया जाता है, लेकिन शादय लोग इसका मतलब समझ नहीं पा रहे हैं। समाज में बहनों के साथ तो अत्याचार हो ही रहे हैं, भाई इससे बच नहीं पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मानव को मानव से नहीं बल्कि हर व्यक्ति को अपने अंदर बैठे दानव से खतरा है जो व्यक्ति को बुरे कार्मों की ओर ले जा रहा है और यह सब व्यक्ति की काम, क्रोध व लोभी प्रवृत्ति के कारण हो रहा है। जिस कारण वह कई प्रकार के बुरे कर्मों को लगातार अंजाम देता चला जा रहा है। लेकिन मानव की यह प्रवृत्ति ऐसी नहीं कि इसको बदला न जा सके। ध्यान के जरिए मानव की इस प्रवृत्ति को पूरी तरह बदला जा सकता है, जिसका समाज पर सकारात्मक प्रभाव होगा। कार्यक्रम के दौरान सुभारीत मीडिया लिमिटेड के सीईओ आरपी सिंह प्रभात के संपादक डीपीएस पंवार, बीके विमला, बीके विनोद, पूर्व लेबर कमिश्नर सीताराम मीणा, रविन्द्र भटनागर के साथ ‘प्रभात’ सुभारती चैनल के समस्त कर्चचारी मौजूद रहे।

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