लाख टके का सवाल है कि सामूहिक मूर्खता को राजनीतिक पूंजी में बदलने की प्रक्रिया सबसे पहले किसने शुरू की? क्या उस नेता ने, जिसने कहा कि था भाखड़ा नांगल बांध बना कर नेहरू ने बहुत बड़ी गलती की है क्योंकि पानी में से बिजली निकाल ली जाएगी तो बचेगा क्या? किसान कैसे खेती करेंगे? नेता का नाम यहां इसलिए नहीं दिया जा सकता है क्योंकि यह उद्धरण कई नेताओं के नाम से चर्चा में रहा है। उस ‘ज्ञानी’ नेता के बहुत दिन बाद बिहार में लालू प्रसाद उभरे। उन्होंने अपने समर्थकों को समझाया कि अनपढ़ और पिछड़ा बने रहना कितना जरूरी है। उन्होंने एक जगह कहा कि अगर सरकार सड़क बना देगी तो पुलिस जल्दी पहुंचेगी और लोग गैरकानूनी काम नहीं कर पाएंगे!
बहरहाल, शुरुआत जिसने भी की हो पर इसे सांस्थायिक रूप भारतीय जनता पार्टी के ‘महाज्ञानी’ नेताओं ने दिया है। एक के बाद एक नेता इस गौरवशाली परंपरा को बढ़ाते जा रहे हैं। जम्मू कश्मीर के राज्यपाल ने बुधवार को प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि इंटरनेट का इस्तेमाल आतंकवादी ज्यादा करते हैं इसलिए उसे बंद रखने में ही फायदा है। यह इनके कथित ‘ज्ञान’ और ‘समझदारी’ की चरम स्थित है। आतंकवादी या दूसरे अपराधी हर नई तकनीक का इस्तेमाल करते हैं। ऑनलाइन बैंकिंग और क्रेडिट कार्ड फ्रॉड से दुनिया परेशान है। पुलवामा में भी कार बम विस्फोट किया गया था। सो, राज्यपाल महोदय के बताए रास्ते पर चलते हुए नई तकनीक, ऑनलाइन बैंकिंग, क्रेडिट कार्ड, गाड़ियों आदि पर पाबंदी लगा देनी चाहिए।
इसी महान परंपरा में भारत सरकार के नए शिक्षा मंत्री ने कहा है कि समुद्र में बना मिथकीय राम सेतु दुनिया भर के वैज्ञानिकों के लिए आश्चर्य का विषय है। उनके इस ज्ञान की बात की व्याख्या पत्रकारों ने एक दूसरे मंत्री से करानी चाही तो वे मुस्कुरा कर चुप रह गए। शिक्षा मंत्री महोदय पहले भी बता चुके हैं कि अणु की खोज हजारों वर्ष पहले भारत में हो चुकी थी। बिहार भाजपा के एक नेता और राज्य सरकार के मंत्री ने दावा किया है कि शिव और हनुमान दोनों बिंद जाति के हैं। वे खुद बिंद जाति के हैं, जो मल्लाह से मिलती जुलती जाति होती है। उनसे पहले भाजपा के एक नेता भगवान हनुमान को दलित बता चुके थे। ऐसा लगता है कि नई खोज के बाद बिहार के नेता ने दावा किया है कि हनुमान दलित नहीं बिंद जाति के हैं।
प्रधानमंत्री ने खुद ही कहा हुआ है कि भगवान शिव पहले सर्जन थे। उन्होंने भगवान गणेश के माथे पर हाथी का सिर लगा कर पहली सर्जरी की थी। एक राज्य के युवा मुख्यमंत्री का दावा है कि इंटरनेट की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी, जब धृतराष्ट्र को महल में बैठ कर ही संजय युद्धक्षेत्र का हाल सुनाते थे। उन्हीं मुख्यमंत्री ने अपने राज्य की झीलों में बतख पालने शुरू किए थे और कहा था कि बतख ऑक्सीजन छोड़ती हैं, जिससे झीलों की सफाई होगी। ऐसी अनगिनत मिसाले हैं, जिन सबका जिक्र जरूरी नहीं है।
सवाल है कि क्या कुछ समय पहले तक कोई नेता ऐसी बात कहने की हिम्मत कर सकता था, जिससे वह मजाक बन जाए? कुछ समय पहले तक लोग ऐसी कोई भी बात कहने से बचते थे, जिससे वे पढ़े-लिखे और समझदार लोगों की नजरों में मजाक बन जाएं। पर अब इस सामूहिक जड़ता या मूर्खता को राजनीतिक पूंजी में बदल दिया गया है। अब पढ़े-लिखे और समझदार लोग किसी का मजाक उड़ाते हैं तो उसे राजनीतिक सफलता की गारंटी मानी जाती है। असल में नेताओं की एक पूरी जमात ने लोगों को जाने अनजाने में मूर्खता की अंतहीन सुरंग में धकेल दिया है। ध्यान रहे आइंस्टीन ने भी कहा था कि ब्रह्मांड और मूर्खता की कोई सीमा नहीं है। हालांकि बाद में उन्होंने कहा कि वे ब्रह्मांड के बारे में यह बात पूरे भरोसे से नहीं कह सकते हैं। मूर्खता की चरम अवस्था कालीदास वाली होती है, जब व्यक्ति को अपने व्यक्तिगत नुकसान की समझ नहीं होती है। सोचें, जब लाखों, करोड़ों लोगों को ऐसी स्थिति में ला दिया जाए, जहां उसे निजी लाभ हानि की चिंता न हो तो क्या होगा? दुनिया के राजनेताओं ने पिछले कुछ समय में यहीं काम किया है। अपने लोगों को समझाया है कि उन्हें अपने देश को महान बनाना है, चाहे इसके लिए उनका सर्वस्व क्यों न चला जाए। अमेरिका को महान बनाने के नारे पर डोनाल्ड ट्रंप जीते हैं और व्लादिमीर पुतिन तो कोई दो दशक से रूस की महानता वापस लाने के नाम पर चुनाव जीत रहे हैं।
अब इस मूर्खता का भूमंडलीकरण हो गया है। अपने यहां भी हुक्मरान भारत को फिर से महान बनाने के नाम पर ही चुनाव लड़ रहे हैं। तभी वे यह साबित करने में लगे हैं कि भारत पहले विश्वगुरू रहा है। उसके पास समुद्र में पुल बनाने की क्षमता थी, उसके पास परमाणु बम था, पुष्पक विमान था, सर्जरी की क्षमता थी आदि आदि। इससे सामूहिक मूर्खता और जड़ता का विस्तार हो रहा है, जो अंततः राजनीतिक पूंजी में तब्दील होगी और जीत की गारंटी बनेगी।
अजीत द्विवेदी
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं