मंदी से उबार सकती है ग्रामीण अर्थव्यवस्था

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कोरोना संक्रमण के दौरान उद्योग व व्यापार में मंदी छायी है। केवल कृषि का क्षेत्र है जोकि अर्थव्यवस्था को संबल और रोजगार प्रदान कर सकता है। कृषि उत्पादों के प्रसंस्करण करके कृषि क्षेत्र को रोजगारोन्मुखी बनाया जा सकता है। केन्द्र व राज्य सरकारों को इस क्षेत्र पर विशेष ध्यान देना चाहिए। केन्द्र सरकार ने इसकी पहल भी की है। कृषि मंत्रालय ने एक लाख करोड़ रूपये के एग्री इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड की गाइड लाइन जारी की है। केन्द्र सरकार ने उप्र का विशेष ध्यान रखा है। यहां के कृषि क्षेत्र में बुनियादी ढांचे को सुधारने के लिए सबसे अधिक फंड 12800 करोड़ रूपये देने का निर्णय लिया है। इसके अतिरिक्त केन्द्र सरकार ने कृषि क्षेत्र में नये विचार के साथ स्टार्टअप के लिए सस्ते ऋण देने की योजना बनाई है। नई गाइड लाइन के अनुसार कटाई के बाद के कार्यों के लिए सस्ता कर्ज उपलध कराया जायेगा। कोल्डचेन, परिवहन तथा वेयर हाउस के लिए भी कर्ज प्रदान किया जायेगा। सरकार का मानना है कि कृषि क्षेत्र के बुनियादी ढांचे में सुधार करके अर्थव्यवस्था को आसानी से पटरी पर लाया जा सकता है। इसके लिए ऐसा प्रारभिक ढांचा तैयार किया जायेगा।

जिससे किसानों व इस क्षेत्र से जुड़े लोगों को व्यवसाय करने में उचित दाम मिले। यदि बुनियादी ढांचा सुधरा और कृषि क्षेत्र में सहूलियत हो तथा उत्पादन में वृद्धि के साथ ही उत्पादों का उचित दाम मिले। यदि बुनियादी ढांचा सुधार और कृषि क्षेत्र में परपरागत की जगह आधुनिक पद्धति का समावेश हुआ तो इस क्षेत्र में निवेश बढ़ेगा। निवेश बढऩे के साथ ही रोजगार के अवसर बढेंगे। अब गेंद राज्य सरकारों के पाले में है कि वे इस अवसर का लाभ कैसे किसानों को देते हैं। सबसे पहले राज्य सरकारों को इस फंड के उपयोग में पूरी तरह से ईमानदारी व पारदर्शिता के साथ करना होगा। यदि राज्य सरकारों ने अपने वोट बैंक का ख्याल किया तो न तो कृषकों को फायदा होगा और नहीं देश की अर्थव्यवस्था सुधरेगी। इससे देश का काफी नुकसान होगा। यदि यह योजना भी अन्य योजनाओं की तरह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी तो आने वाले दशकों तक कृषि क्षेत्र व कृषकों की हालत में सुधार की संभावना नगण्य हो जायेगी। अभी ग्रामीण क्षेत्र के लिए अवसर है। इस समय देश की श्रमशक्ति कोरोना संक्रमण के चलते महानगरों में न होकर ग्रामीण क्षेत्र में है। अत: श्रमशक्ति का उपयोग पूंजी निवेश करके कृषिगत क्षेत्र का बुनियादी ढांचा सुधारा जा सकता है।

दूसरी बात यह भी है कि कोरोना संक्रमण का प्रभाव ग्रामीण क्षेत्रों में काफी कम है। फंड सही तरीके से उपयुक्त हो इसके लिए व्यवस्था राज्य सरकारों को करनी है। इसके लिए सरकारों को एक तन्त्र बनाना होगा। भ्रष्टाचार न हो व फंड के आवंटन में पूरी पारदर्शिता तथा ईमानदारी हो इसकी व्यवस्था राज्य सरकारों को प्राथमिकता के आधार पर करनी होगी। फंड व वित्तीय संस्थानों के जरिये उपलध कराया जायेगा। फंड के मिलने के लिए राज्य सरकारों की सीमा तय करनी होगी। अगर फंड प्रदान करने व पात्र का चयन करने में लालफीताशाही व लापरवाही हुई तो यह निश्चित है कि इस योजना का उद्देश्य निष्फल हो जायेगा। चयनित को फंड मिलने के बाद निरीक्षण की पूरी व्यवस्था होनी चाहिये। विशेषज्ञों की टीम उसे अपनी सलाह देकर उचित मार्गदर्शन करें इसका भी इंतजाम सरकार को करना होगा। सबसे बड़ा दायित्व राज्य सरकारों को होगा कि वे इस योजना को भ्रष्टाचार का दीमक न लगने दें। यदि योजना सुचारू पूर्वक लागू हुई व सफल हुई ता निश्चित ही भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था के जरिये देश वास्तविक रूप से आत्म निर्भर बनेगा।

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