जब पढ़ते थे तब रेडियो पर शनिवार को एक मनभावक कार्यक्रम जयमाला आता था। इसमें कोई फिल्म स्टार सैनिक भाईयो से रूबरू होता था। एक बार खलनायक विलेन ने अपने कार्यक्रम में कहा कि वैसे तो मेरी छवि बहुत खराब है पर निजी जीवन में मैं बहुत मृदू हूं। एक बार किसी ने मुझसे कहा कि ऐसा क्यों? तो मैंने उसे बताया कि जब आज अपने जीवन में सफलता की सीढि़यां चढ़ रहे हो तो आपकी गर्दन हमेशा झुकी होनी चाहिए ताकि जब आप असफल होने पर सीढि़यां नीचे उतर रहे हो तो आपको पहचानने वाले लोग मौजूद हो।
जब मैंने पी चिदंबरम के बारे में पढ़ा तो वह बात याद आ गई क्योंकि मुझे एक भी नेता या दूसरा कोई व्यक्ति ऐसा नहीं मिला जोकि उनके प्रति लगाव रखता हो। सत्ता का मजा लेते हुए उन्होंने दोस्त की जगह दुश्मन बनाए। एक बार तो सरकार में उनके एक सहयोगी मंत्री ने मुझे उनके खिलाफ कागजात देते हुए उनका खुलासा करने को कहा था। उन्होंने सबको अपनी हैसियत बताई और जब आज वे संकट में घिर गए हैं तो हर कोई उनको सलाखों के अंदर देखने की बाते कर रहा है।
पी चिदंबरम के बारे में जानकारी हासिल करने के बाद अंग्रेजी की यह कहावत ध्यान आने लगती है कि ‘हाऊ मच इज टू मच।’ कितना पैसा पर्याप्त माना जा सकता है! जब पढ़ते थे तो अंग्रेजी में अनुवाद के लिए किताबों में अक्सर यह पढ़ाया जाता है कि राम यद्यिप गरीब है फिर भी ईमानदार है। इसका अनुवाद करो। यह मान कर चला जाता है कि गरीब आदमी तो बेईमान होता है जबकि खानदानी नहीं। मगर पी चिदंबरम तो खानदानी अमीर थे।
पलानीअप्पन (पी) चिदंबरम न सिर्फ खानदानी रईस थे बल्कि वे खानदानी रूप से हमेशा सत्ता के करीब रहने वाले परिवार से संबंध रखते थे। उनके पिता पलानीअप्पन चिदंबरम को अंग्रेजों ने सर की उपाधि दी थी। वे अंग्रेजो के काफी करीब थे। वे दक्षिण भारत की बनिया समुदाय चेट्टियार से संबंध रखते थे। जैसे उत्तर भारत में गुप्ता, अग्रवाल, बंसल आदि व्यापारिक समुदाय से आते हैं वैसे वे भी दक्षिण भारती चेटिट्यार समुदाय से थे जोकि रुपए पेसे के लेन-देन के अलावा व्यापार भी करते हैं।
उनके परिवार ने अग्रमलार्ड विश्व विद्यालय व यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी की स्थापना की थी। उनके नाना ने इंडियन बैंक बनाया था। जबकि खुद वे बीएससी करने के बाद टेक्सास से एमबीए करके आए थे। बाद में उन्होंने कानून की शिक्षा ली और राजनीति में आ गए और शिवगंगा चुनाव क्षेत्र से 6 बार सांसद बने।
वे पहली बार पीवी नरसिंह राव मंत्रिमंडल में वाणिज्य मंत्री बने और फिर गांधी परिवार के इतना करीब हो गए कि जब सोनिया गांधी ने अपने दिवंगत पति राजीव गांधी की हत्या की जांच में तत्कालीन सरकार द्वारा ढील बरतने का आरोप लगाया तो उन्हें संतुष्ट करने के लिए राव ने पी चिंदबमर को गृह राज्यमंत्री बना दिया ताकि वे इस मामले पर खुद नजर रख सके। बाद में वे तमिल मनीला कांग्रेस में चले गए और सोनिया गांधी द्वारा पार्टी की कमान संभाले जाने पर पुनः वापस कांग्रेस में आ गए।
मुंबई में आतंकी बमकांड के बाद जब तत्कालीन गृहमंत्री शिवराज पाटिल ने इस्तीफा दिया तो तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गांधी परिवार को खुश करने के लिए उन्हें गृहमंत्री बना दिया। हालांकि उसके बाद पुनः मुंबई में बम फटे व उनकी आलोचना हुई तो उन्होंने इसके लिए खुफिया एजेंसियों को जिम्मेदार ठहराया। उनकी पत्नी नलिनी चिदंबरम सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस पी कैलासन की बेटी है व जानी-मानी वकील है।
जब मतंग सिंह की पत्नी मनोरंजना सिंह पश्चिम बंगाल के शारदा चिटफंड घोटाले में फंसी तो उन्होंने एक करोड़ रुपए की फीस देकर नलिनी को अलग वकील बनाया था। उस समय वे केंद्र सरकार में वित्तमंत्री थे। उनका बेटा कीर्ति चिदंबरम भी इस समय खबरों में है। जब वे मंत्री बने तो उस समय तक वे अनिल अग्रवाल की वेदांत कंपनी में थी जिसे वीडीआईएस समेत तमाम वित्तीय घोटालो के कारण ईडी व दूसरी सरकारी एजेंसियों ने नोटिस दिए थे। इस मसले पर संसद में जबरदस्त हंगामा हुआ था पर उनके गांधी परिवार से संबंधों के कारण उन्हें मंत्रिमंडल से हटाना तो दूर रहा उनका मंत्रालय तक बदलने की प्रधानमंत्री में हिम्मत नहीं हुई। मंत्री रहते हुए उन पर गंभीर आरोप लगे।
फिर वे बेटी की हत्या करने वाली इंद्राणी मुखर्जी व उसके तीसरे पति पीटर मुखर्जी की कंपनी आइएनएक्स मीडिया से जुड़े भ्रष्टाचार व मनी लाडरिंग के मामले की जांच दौरान विवाद-आरोपों के घेरे में आए। अब इस सप्ताह उसी सिलसिले में अग्रिम जमानत की याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट के जज ने खारिज किया तो गिरफ्तारी की नौबत आई। हालांकि वहीं जज उन्हें 22 बार जमानत दे चुके थे। जज ने कहा कि यह मामला मनी लॉडरिंग का एक बेहतरीन उदाहरण है। तथ्य इशारा करते हैं कि वित्त मंत्री रहे चिदंबरम ही किंग पिन है। सिर्फ सांसद होने के नाते गिरफ्तारी से राहत देना सहीं नहीं होगा।
ध्यान रहे कि उन्होंने पिछली बार अपने बेटे को शिवगंगा से लोकसभा चुनाव लड़वाया था जोकि वह हार गया और व पार्टी में अपनी पहुंच के चलते राज्यसभा में पहुंच गए। इतना ही नहीं 3500 करोड रुपए के एयरसेल मेक्सिस सौदे की मंजूरी को लेकर भी चिदंबरम सवालों के घेरे में है। सीबीआई और ईडी का आरोप है कि जब वे वित्तमंत्री थे तो उन्होंने 305 करोड़ रुपए का विदेशी फंड हासिल करने के लिए मीडिया ग्रुप की एफआईपीबी को मंजूरी दी थी जिसके बदले में उस कंपनी ने उन लिफाफा कंपनियेां में पैसा लगाया जोकि उनके बेटे की थी व उन्होंने नियम कानून तोड़ने वाले आईएनएक्स मीडिया को यह पैसा लगाने की मंजूरी दे दी थी।
उन्हें हाईकोर्ट ने पहली बार 25 जुलाई 2018 को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दी थी व तबसे इसे समय-समय पर बढ़ाया जाता रहा। हाईकोर्ट द्वारा जमानत न पाने व सुप्रीम कोर्ट द्वारा उनकी अर्जी की सुनवाई शुक्रवार तक टाल दिए जाने के बाद वे मिले नहीं । कांग्रेस के इतने बड़े नेता व पूर्व वित्तमंत्री के खिलाफ जांच एजेंसी ने लुकआउट नोटिस जारी किया। 27 घंटे तक गुप्त रहने के बाद उन्होंने कांग्रस मुख्यालय में अपनी सफाई में बहुत कुछ हुआ। और फिर अपने घर वकीलों से बात करने के लिए बंद हो गए। मामले का पटाक्षेप सीबीआई टीम के उनके घर में दीवाल फांद कर घुसने और गिरफ्तारी से हुआ। सो अब मामला सुप्रीम कोर्ट के रहमोंकरम पर है और सीबीआई एजेंसी के मूड पऱ।
विवेक सक्सेना
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं…