दूसरों की जिंदगी जाने में वक्त ना खोओ

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‘हम जो हैं, टेक्नोलॉजी उसे बदल नहीं सकती है, हम जो भी हैं अच्छे या बुरे, टेक्नोलॉजी उसे सिर्फ बड़ा करके दिखाती है। टेक्नोलॉजी से जुड़ी हमारी जो भी समस्याएं हैं वो मानवीय हैं। ‘गार्डन ऑफ ईडन’ से लेकर आज तक, मानवता ने ही सारी गड़बड़ें की हैं और इंसानियत ही हमें इन झंझटों से मुक्ति दिलाएगी।

आप जो बनाते हैं या जो तैयार करते हैं, वही बताता है कि आप क्या हैं। आप अराजकता का कारखाना तैयार करेंगे तो आप किसी भी आराजकता की जिम्मेदारी से बच नहीं सकते। जिम्मेदारी लेने का मतलब सीमित सोच से परे जाने की हिम्मत करना भी है। अगर हम इस बात को सामान्य और अटल मान लें कि हमारी जिंदगी में मौजूद हर बात बेची जा सकती है, लीक हो सकती है, हैक हो सकती है, तो हम डेटा से भी ज्यादा कुछ खो देंगे। हम इंसान होने की आजादी खो देंगे। आप खुद को सेंसर करने लग जाएंगे। यह अचानक नहीं होगा, धीरे-धीरे होगा।

डिजिटल निगरानी का असर बेहद गहरा है और लगभग हर चीज को यह छूता है। इस वजह से हमारी दुनिया छोटी हो जाएगी क्योंकि हम कम बात करेंगे, कम क्रिएट करेंगे, कम सोचेंगे, कम विचारेंगे, कम आशा करेंगे, कम हिम्मत करेंगे, कम कल्पना करेंगे और कम कोशिश करेंगे। आप लोगों से मैं यही उम्मीद करूंगा कि श्रेय लेने से पहले जिम्मेदारी लेना सीखिए।अपनी महत्वकांक्षाओं को विनम्रता के साथ जोड़िए, उद्देश्य की विनम्रता…। इसका मतलब यह नहीं कि आप छोटे रह जाइए, जो आप कर सकते हैं उससे कम कीजिए। सीधे-सीधे कहूं तो आप जिंदगी में जो भी करें, निर्माता बनें, विकसित करने वाले बनें।

कुछ भी यादगार करने के लिए आज अर्श से शुरू करने की जरूरत नहीं है। निर्माता आजीवन इस सोच पर काम करते हैं, धीरे-धीरे। निर्माता इस सोच में यकीन रखते हैं कि उनके जीवन का यह काम एक दिन उनसे भी बड़ा हो जाएगा। वो सचेत रहते हैं कि उनके काम का असर पीढ़ियों पर रहेगा। यह अचानक होने वाली बात नहीं है, यही तो पूरा मुद्दा है।

दोस्तों, निर्माता होने का मतलब यह मानना भी है कि हो सकता है आप इस धरती पर कुछ महान नहीं करें। वजह यह कि आप ऐसा कुछ नहीं बनाने वाले हैं जो अंत तक रहेगा। आप तो एक टुकड़ा-भर तैयार कर रहे हैं और आप भी कहानी के खत्म होने तक यहां नहीं रहने वाले हैं। सीमित वक्त आपको मिला है, तो इसे किसी और की जिंदगी जीने में जाया मत कीजिए। आपके मेंटर आपकी तैयारी करवा सकते हैं, लेकिन तैयार नहीं कर सकते। यह मुझे तब समझ आया जब स्टीव (जॉब्स) हमें छोड़ गए। मैं इसके लिए कभी तैयार नहीं था। जीवन में ऐसे मौके आते हैं जब आप तमाम लोगों से घिरे रहते हैं लेकिन उन्हें सुन नहीं पाते, देख नहीं पाते और महसूस नहीं कर पाते लेकिन उनकी उम्मीदों को जरूर महसूस करते हैं। स्टीव के जाने के बाद जब धुंधलका हटा, तो मैंने तय किया कि मुझे मेरा सर्वश्रेष्ठ संस्करण सामने लाना होगा। हर सुबह उठकर दूसरों की उम्मीदों का सामना करना आसान नहीं है। यह लड़ाई किसी दूसरे की जिंदगी जी कर आप नहीं लड़ सकते। इसलिए इसमें समय व्यर्थ मत कीजिए।

अपने से पहले आए लोगों की बराबरी या अनुसरण में समय मत गंवाइए। इसमें आपकी काफी मानसिक शक्ति जाया होगी। आपका कीमती वक्त अपनी सोच को उस इंसान के विचारों से जोड़ने में गुजर जाएगा। जबकि आप किसी को मूर्ख नहीं बना सकते। अनअपेक्षित में ही आशा ढूंढिए, चुनौतियों में साहस खोजिए। याद रखिए जो आप करेंगे वो आपके पास नहीं रहेगा, उसे आपको अपनी पीढ़ी को देकर जाना होगा।’ (2019 में स्टैनफोर्ड युनिवर्सिटी में टिम कुक)

टिम कुक
( टिम कुक 256 मिलियन डॉलर के सालाना वेतन के साथ दुनिया के टॉप 10 सीईओ में बने हुए हैं, ये सफलता का उनका मूल मंत्र है)

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