दागियों को टिकट क्यों…

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सारे राजनीतिक दलों को सुप्रीम कोर्ट की हिदायतः उम्मीदवार का आपरायधिक रिकॉर्ड सार्वजनिक करना अब अनिवार्य, केवल जिताऊ होना टिकट का आधार नहीं हो सकता

नई दिल्ली।अब राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों का आपराधिक रिकॉर्ड छुपा नहीं सकेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने इसे सार्वजनिक करना अनिवार्य कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राजनीतिक पार्टियों को यह भी बताना होगा कि उन्होंने बाकी उम्मीदवारों को छोड़कर दागी को ही टिकट क्यों दिया? कोर्ट ने ये भी साफ कर दिया कि केवल जीतने के आधार पर दागियों को टिकट नहीं दिए जा सकते। उसकी शैक्षणिक योग्यता, अतीत में लोगों की सेवा का रिकॉर्ड जैसी बातें टिकट देने का आधार हो सकती हैं। इस आदेश का पालन न करने को कोर्ट की अवमानना माना जाएगा। दरअसल, कोर्ट ने 25 सितंबर 2018 को उम्मीदवारों का आपराधिक रिकॉर्ड मीडिया और पार्टी के वेबसाइट में प्रकाशित करने का आदेश दिया था, लेकिन इसका सही ढंग से पालन नहीं हुआ। याचिकाकर्ता भाजपा नेता व सुप्रीम कोर्ट में वकील अश्विनी उपाध्याय ने कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल कर बताया था कि राजनीतिक दल और चुनाव आयोग इस आदेश का गंभीरता से पालन नहीं कर रहे हैं।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने माना था कि राजनीति में अपराधीकरण पर लगाम लगाने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है। याचिकाकर्ता की मांग थी कि सुप्रीम कोर्ट चुनाव आयोग को यह निर्देश दें कि वह सिंबल ऑर्डर 1968 और संविधान के अनुच्छेद 324 के मुताबिक अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए उम्मीदवारों का आपराधिक रिकॉर्ड सार्वजनिक ना करने वाली राजनीतिक पार्टियों पर कार्रवाई करे, लेकिन कोर्ट ने इससे एक कदम आगे बढ़ते हुए मामला सीधे अपने हाथ में ले लिया है और कहा है कि चुनाव आयोग आदेश का पालन ना करने वाली पार्टी के बारे में कोर्ट को जानकारी दें । कोर्ट उसके पदाधिकारियों पर अवमानना की कार्रवाई करेगा। याचिकाकर्ता अश्विनीउपाध्याय ने कहा कि वह अलग से याचिका दाखिल कर इस बात को भी रखेंगे कि कोर्ट राजनीतिक पार्टियों पर आपराधिक रिकॉर्ड वाले उम्मीदवारों को टिकट ना देने की पाबंदी लगा दे। साथ ही, इस तरह के निर्दलीय उम्मीदवारों के भी चुनाव लडऩे पर रोक लगाई जा

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