डोंट कॉल मी तोता, सर्दी हो गई खत्म

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जैसे ही मुंह धोकर कुल्ला फेंका तोताराम प्रकट हुआ, यही गनीमत रही कि उस पर पानी के छींटे नहीं पड़े। बचते हुए बोले-क्या नेताओं की तरह पर-निंदा और आत्मप्रशंसा के छीटें उछाल रहा है। हमने कहा-हाय तोता सॉरी। बोला-डोंट कॉल मी तोता। हमने कहा अजकल फॉर्मल तरीका यही है जब मोदी जी अमरीका के राष्ट्रपति को बराक पुकार सकते हैं।

आज हम कुछ जल्दी ही बरामदे में जा जमे। दो कारण-पहला सर्दी कम हो गई है। दूसरा-पांच बजे ही आंख खुल गई है तो अब फिर क्या सोना? आठ घंटे की नींद बहुत होती है। जब आचार संहिता लगने से पहले चुनावी वैतरणी में राम का नाम लेकर संसद तक सेतु निर्माण के लिए ताबड़तोड़ आधारशिलाएं तैराने के बाद गालियों और निंदा के तीरों से भरे तरकश लेकर प्रधान और सामान्य सेवक पाक-विजय की दुन्दुभी बाजाते हुए निकल पड़े हैं तो हमारा जागते रहना बहुत जरूरी है। क्या पता, कोई मनचला समर्थक बरामदे में रखी झाडू ही उठा ले जाए। नई झाडू पचास रुपए की आती है।

जैसे ही मुंह धोकर कुल्ला फेंका तोताराम प्रकट हुआ, यही गनीमत रही कि उस पर पानी के छींटे नहीं पड़े। बचते हुए बोले-क्या नेताओं की तरह पर-निंदा और आत्मप्रशंसा के छीटें उछाल रहा है। हमने कहा-हाय तोता सॉरी। बोला-डोंट कॉल मी तोता। हमने कहा अजकल फॉर्मल तरीका यही है जब मोदी जी अमरीका के राष्ट्रपति को बराक पुकार सकते हैं, अठारह-उन्नीस साल की एक लड़की उनचासवें साल में चल रहे राहुल गांधी को ‘हाय राहुल’ पुकार सकती है तो हम तो तुझसे छह महिने बड़े हैं लगता है तूने चेन्नई के स्टेला मैरिस वीमेंस कॉलेज में उन्हें 3000 हजार महिलाओं के प्रश्नों का जवाब देते राहुल को नहीं सुना।

बोला – वह तो बेचारी कन्या को राहुल के निर्देश पर पुकारना पड़ा लेकिन क्या तूने उस बालिका की प्रतिक्रिया नहीं देखी? कैसे जीभ निकालकर लजा रही थ? हालांकि तत्काल ही उसका सशक्तिकरण हो गया और उसके सहज भाव से ‘हाय राहुल’ बोला। उसके बाद एक बार फिर उसने इरादतन ‘राहुल’ बोला। ठीक है, राहुल अभी भी युवक ही लगते हैं पर फिर जींस-काली टीशर्ट में, क्लीन शेब्ड, और कुंवारे भी भले ही मोदी वात्यल्य भाव से राहुल को ‘पप्पू’ कहते हैं लेकिन यह भी सच है कि वे 49वें में चल रहे हैं। इस उम्र में तू दादा बना गया था वैसे यदि मोदी जी समाज सेवा के लिए संन्यास न लेते तो वे भी तेरे तरह 49 वर्ष की आयु में दादा बन जाते क्योंकि उनकी शादी भी तेरी तरह 17 वर्ष की आयु में ही हुई थी।

हमने कहा -तो क्या मह तुझे ‘हाय तोता’ नहीं कह सकते? उम्र के हिसाब से तो हम मोदी जी को भी प्यार से ‘नरेन्द्र’ कह सकते हैं। प्यार में छोटा संबोधन ही अच्छा लगता है। बोला यह तो ठीक है कि तू मुझसे बड़ा है। प्यार में मुझे गधा, उल्लू, बेवकूफ कुछ भी बुला सकता है। आगे पीछे कुछ भी विशेषण लगा सकता है, लेकिन मुझे इस ‘हाय तोता’ से ऐतराज है। हमने कहा – इसमें क्या खराबी है? बोला -तेरा नाम रमेश और राहुल तथा नरेन्द्र आदि के फर्स्ट नेम भी पूरा अर्थ दे देते हैं, अजीब नहीं लगते लेकिन मेरा नाम ? तू तो प्रेम से कहेगा- ‘हाय तोता’ और लोग समझेंगे कि अपने पिंजरे में बंद अपने तोते से तो नहीं बतिया रहा?

रमेश जोशी
लेखक वरिष्ठ व्यंगकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं

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