आज तोताराम सुबह सात बजे की बजाय ग्यारह बजे आया। हमने पूछा-यह कौन-सा टाइम है ? न लंच का और न चाय का। बोला- यह बैंक चलने का टाइम है। हमने कहा-लेकिन आजक ल तो ग्राहकों की सुविधा के लिए टाइम दस की बजाय साढ़े नौ का कर दिया है। बोला- वह अन्य बैंकों के बारे में सूचना थी। हमारे वाला बैंक दस की बजाय ग्यारह बजे खुलने लगा है और पहुंचते-पहुंचते साढ़े ग्यारह हो ही जाएंगे। तब तक बाबूजी भी धूप-बत्ती, चाय-पानी करके सीट पर आ ही जाएंगे। हमने कहा- पेंशन तो ले ही आए थे, अब बैंक में है क्या रखा है? बोला- पोता कह रहा था मोटर साइकल दिलवा दो। हमने कहा- अब तो राजस्थान में कोई चुनाव भी नज़दीक नहीं है। हरियाणा में होता तो बात और थी। चुनाव में कभी ‘संकल्प रैली’ तो कभी ‘हुंकार रैली’ में भाग लेकर दस- बीस हजार कमा लेता और एक स्मार्ट फोन भी। बोला- पोता बंटी कह रहा था, आजकल पार्टी का सदस्यता-अभियान चल रहा है। इसमें भी स्कोप है।
हमने क हा-लेकिन तोताराम, आजकल ट्रेफिक रूल्स के बारे में बड़ी डरावनी खबरें सुन रहे हैं। वाहन की कीमत से भी ज्यादा जुर्माना लग रहा है। हेलमेट न लगाओ तो जुर्माना, चप्पल पहनकर मोटर साइकल चलाओ तो जुर्माना। कल को कह देंगे भगवा मोदी जैकेट क्यों नहीं पहनी? निकाल दस हजार। बैलगाड़ी वाले तक का चालान काट दिया। फिर इतने नियम याद रखने की क्षमता हो तो आलतू-फालतू कामों के लिए मोटर साइकल दौड़ाने की क्या जरूरत है? इससे आसान तो प्रशासनिक सेना की परीक्षा रहेगी। और फिर बच्चे हैं। बड़े-बड़े ही नियम नहीं मानते हैं। मेरी माने तो साइक ल ले दे। वरना अब मोटर साइकल के लिए पेंशन से लोन लेगा और बाद में ट्रेफिक वालों के जुर्माने भरने के लिए लोन लेता फिरेगा। साइकल खरीदने से जो पैसे बचें उनसे ट्रेफिक जुर्माना भरने के लिए एक सुरक्षित कोष बना देना।
बोला- आजकल तो सुरक्षित कोष भी सुरक्षित नहीं रहे। तुझे पता होना चाहिए कि बैंको का स्वास्थ्य सुधारने के लिए सरकार रिजर्व बैंक के ‘रिजर्व’ में से भी कई लाख निकाल रही है जिसे नीरव मोदी बिगाड़ गया था। ज्यादा डरने से कोई फायदा नहीं। जो डर गया सो मर गया। ऐसे ही गलतियां करके यह देश भी समझ जाएगा। अभी चंद्रयान वाले मामले में देखा नहीं? आखिरी समय में स्पीड कंट्रोल नहीं कर पाए और टूट गया संपर्क । आगे से ध्यान रखेंगे तो यह नौबत नहीं आएगी। हमने कहा- चंद्रयान वाले तो समझ जाएंगे लेकिन विकास की इस ओवर स्पीडिंग को कौन कंट्रोल करेगा? इस पर कौन-सा नियम लागू होगा? इसका जुर्माना कौन भरेगा? बोला- हम हैं ना।देख लेना कल को हो सकता है हमको भी कोई ट्रेफिक पुलिस वाला बिना हैलमेट लगाए पैदल चलने के जुर्म में धर लेगा।
रमेश जोशी
(लेखक वरिष्ठ व्यंगकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)