देश के लिए ऐतिहासिक घड़ी वह आ गई जिसमें कोरोना महामारी से अंतिम युद्ध होना है उम्मीद है कि इस युद्ध में देश व देश की सजग जनता जीतेगी और महामारी की शिकस्त होगी। शनिवार यानि आज से देश भर में पहले चरण का कोरोना टीकाकरण शुरू हो रहा है। जाहिर है, ये संतोष और खुशी की बात है। इसके बावजूद उचित यही होगा कि जो हकीकत सामने है, उसे ध्यान में रखा जाए। हकीकत यह है कि फिलहाल ज्यादा उमीद बढ़ाने की स्थिति नहीं है। एक तो अभी पहले चरण का टीकाकरण शुरू हो रहा है, जिसमें 30 करोड़ लोगों को टीका लगेगा। इसमें ही कई महीने लगेंगे। मुमकिन है आधा साल गुजर जाए। यानी इस चरण के बाद सौ करोड़ लोग बचे रहेंगे। उनके बारे में अभी कोई योजना नहीं है। बहरहाल, ये उम्मीद नियंत्रण में रखने की चेतावनी सिर्फ भारत के लिए प्रासंगिक नहीं है। बल्कि अगर विश्व स्वास्थ्य संगठन के निष्कर्ष पर गौर करें तो टीकाकरण शुरू हो जाने के बाद भी 2021 में दुनिया हर्ड इम्यूनिटी हासिल नहीं कर सकेगी।
संगठन की चीफ साइंटिस्ट सौया स्वामीनाथन ने इसके लिए ये तीन कारण बताए है, पहला, विकासशील देशों में पूरी जनता तक टीके का ना पहुंचना, दूसरा, बड़ी संख्या में लोगों का टीके पर विश्वास ना करना, और तीसरा, वायरस की किस्म का बदलना। दुनिया के अधिकतर विकसित देशों में पहले दौर का टीकाकरण चल रहा है। इसमें अमेरिका, ब्रिटेन, सिंगापुर और यूरोप के देश शामिल हैं। हर्ड इम्यूनिटी तभी बनती है, जब जनता में इतनी बड़ी संख्या में लोगों में इम्यूनिटी पैदा हो जाए कि यह बीमारी के संक्रमण को रोक सके। जर्मन वैज्ञानिकों का मानना है कि 60 फीसदी आबादी को टीका लगने के बाद ही हर्ड इम्यूनिटी विकसित की जा सकती है। यानी 2021 में भी सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क लगाना और लगातार हाथ धोते रहना जरूरी होगा। डब्लूएचओ के आउटब्रेक अलर्ट एंड रिस्पांस नेटवर्क के अध्यक्ष डेल फिशर का भी मानना है कि निकट भविष्य में सामान्य जीवन में लौटना संभव नहीं होगा। उनका यह कहना कि हम जानते हैं कि हमें हर्ड इम्यूनिटी तक पहुंचना है, और हमें ज्यादा से ज्यादा देशों में यह लक्ष्य हासिल करना है। इसलिए 2021 में हो सकता है कि कुछ देश हर्ड इम्यूनिटी हासिल करने में सफल हो सकें।
अभी वैक्सीन ट्रायल के दौरान कुछ ऐसी खबरें देखने व सुनने को मिली कि इस वैक्सीन का साइडइफैक्ट है, जैसे नार्वे में टीकाकरण के बाद 13 लोगों की मौत हो गई। इसके बावजूद जीवन नॉर्मल नहीं हो सकेगा क्योंकि बॉर्डर कंट्रोल के लिहाज से यह पेचीदा विषय है। तो जाहिर है, खतरा बना हुआ है और हम सबको इस हकीकत को ध्यान में रख कर ही इस साल की अपनी योजनाएं बनानी चाहिए। यह तो हमारी खुश किस्मती है कि यहां की साठ प्रतिशत जनता की प्रतिरोध क्षमता विकसित है, इसके अलावा देश की जनता ने लॉकडाउन के दौरान संयमता सतर्कता का परिचय दिया, इसी कारण अन्य विकसित देशों की अपेक्षा यहां कोरोना वायरस का प्रकोप कम रहा। उससे जनहानि भी कम हुई। बरहाल देश ने अपने वैज्ञानिक व सरकार के अथक प्रयासों की बदौलत वह सफलता अर्जित की जो दूसरे विकसित देश भी हासिल नहीं कर सके। अफवाहों के चलते जनता में वैक्सीन को लेकर जो संशय बना हुआ है उसे दूर करने के लिए देश के सभी राजनीतिक व सामाजिक संगठन जनता का मार्गदर्शन करते हुए टीकाकरण के प्रति जागरूक करें ताकि कोरोना वायरस की महामारी को हराया जा सके।