जानिए कैसे भगवान श्रीरामजी के दर्शन पूजन एवं व्रत से मिलती है सुख-समृद्धि, खुशहाली

0
181

भारतीय संस्कृति के हिन्दू सनातन धर्म में व्रत व उत्सव की विशेष महिमा है। प्रख्यात ज्योर्तिविद् श्री विमल जैन ने बताया कि भगवान श्रीराम का जन्म महोत्सव चैत्र शुक्लपक्ष की नवमी तिथि के दिन हर्ष, उमंग व उल्लास के साथ मनाया जाता है, जो कि रामनवमी के नाम से प्रसिद्ध है। इस बार चैत्र शुक्लपक्ष की नवमी तिथि 29 मार्च, बुधवार को रात्रि 09 बजकर 08 मिनट पर लगेगी जो कि 30 मार्च, गुरुवार को रात्रि 11 बजकर 31 मिनट तक रहेगी। ज्योतिष के अनुसार इस बार ग्रह-नक्षत्रों का अद्भुत संयोग पूजा अर्चना के लिए विशेष फलदायी रहेगा। जिसके फलस्वरूप 30 मार्च, गुरुवार को श्रीरामनवमी का पर्व मनाया जाएगा। ऐसी पौराणिक मान्यता है कि चैत्र शुक्लपक्ष की नवमी तिथि, मध्याहन काल, कर्क लग्न, पुष्य नक्षत्र का योग 30 मार्च, गुरुवार को रात्रि 10 बजकर 59 मिनट से 31 मार्च, शुक्रवार को अर्द्धरात्रि के पश्चात् 1 बजकर 57 मिनट तक रहेगा। भगवान श्रीराम जी की पूजा-अर्चना एवं उपासना से जीवन में वैभव, सुख-समृद्धि, खुशहाली का मार्ग प्रशस्त होता है।

ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि व्रतकर्ता को प्रात: ब्रह्म मूहूर्त में दैनिक कृत्यों से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण कर अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना करने के पश्चात् दाहिने हाथ में जल, पुष्प, फल, गन्ध व कुश तथा नगद द्रव्य लेकर श्रीरामनवमी के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। व्रत के दिन अपनी दिनचर्या नियमित व संयमित रखते हुए व्रत का पालन करना चाहिए। भगवान श्रीराम से सम्बन्धित विभिन्न स्तुतियाँ, श्रीराम सहस्त्रनाम, श्रीरामरक्षास्तोत्र, श्रीराम चालीसा एवं भगवान श्रीराम से सम्बन्धित विभिन्न मंत्रों का जप आदि करना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि श्रीरामजी अपने भक्तों को शीघ्र प्रसन्न होकर मंगल कल्याण व खुशहाली का आशीर्वाद प्रदान करते हैं जिससे जीवन में सौभाग्य बना रहता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here