अब लोगों ने उसे चौकीदार रखने की गलती की है तो वह उसे उनकी गलती की याद दिलाता रहता है। हर रात जागते रहो-जागते रहो चिल्लाता रहता है। ऐसे चौकीदारी भारत में हो सकती है। चैन से सोने के लिए चौकीदार रखो और वह सोने भी न दे। अलार्म लगा लो भाई।।
भारत की चौकीदारी सिस्टम में बुनियादी कंफ्यूजन है। चौकीदार को पता है कि उससे चौकीदारी नहीं हो सकती। अब लोगों ने उसे चौकीदार रखने की गलती की है तो वह उसे उनकी गलती की याद दिलता रहता है। हर रात जागते रो-जागते रहो चिल्लाता रहता है। ऐसे चौकीदारी भारत में हो सकती है। चैन से सोने के लिए चौकीदार रखो और वह सोने भी न दे। अलार्म लगा लो भाई।
बेहतर है कि हम प्रधानमंत्री को चौकीदार समझने का बोगस मॉडल तुरंत समझ ले। जब से उन्होंने खुद को चौकीदार घोषित किया है, वे जागते रहो-जागते रहो के अलावा कुछ नहीं कर रहे हैं। सबकी नींद खराब कर रहे हैं। गली के हर मकान के पास जाकर जागते रहो-जागते रहो बोल कर निकल जाते हैं। जब तक लोग करवट बदलते हैं, चौकीदार दूसरे मकान के पास जा चुका होता है। आपके पंचतंत्र की कहानियों से लेकर फिल्मों में देखा होगा, इस टाइप के चौकीदार के दूसरी गली में जाते ही चोरी हो जाती है।
रक्षा मंत्रालय से सीक्रेट फाइल चोरी हो गई है। चोरी चौकीदार के पहुंचने पहले हुई या बाद में, मनोविनोद का प्रश्न है। अटार्नी जनरल काफी क्रिएटिव इंसान लगते हैं। सीक्रेट फाइल चोरी होने की बात कर कई बातें कर दीं। द हिन्दू में छपी सारी रिर्पोट को सही बता दिया। रिर्पोट के भीरत छपी रफाल सौदे में चोरी की बोतों को सही बता दिया। सरकार की तरफ से जो सीक्रेट था, उस सीक्रेट को आउट कर दिया। अब सरकार नहीं कह सकती कि द हिन्दू में जो छपा है वह सही जानकारी नहीं है। उसकी फाइल का हिस्सा नहीं है। इसी बात पर सुप्रीक कोर्ट की चांज का आदेश दे देना चाहिए। रक्षा मंत्रालय से सीक्रेट फाइल कैसे चोरी हो गई। ओरिजनल कॉपी चोरी हुई या फोटोकॉपी। जहां सीक्रेट फाइल रखी जाती है उस कमरे में खिड़की और दरवाजे हैं या नहीं।
सीक्रेट फाइल ले जाने – ले आने की प्रक्रिया क्या है। वहां सीसीटीवी कैमरा है या नहीं। दूसरा जब द हिन्दू अखबार में छपी खबरें सही है तो यह आरोप सही साबित होताी है कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को जारी जानकारी नहीं दी। नहीं तो सुप्रीम कोर्ट अब बताए कि ये वही सीक्रेट पाइल है जो बंद लिफाफे में हमें मिली थी! जनवरी महीने से एन राम, द हिन्दु अखबार में रफाल सौदे पर रिपोर्ट लिख रहे हैं। बता रहे थे कि कैसे रक्षा मंत्रालय को अंधेरे में रखकर प्रधानमंत्री कार्यालय रफाल मामले में खुद ही डील करने लगा था। कैसे रक्षा मंत्रालय के बड़े अधिकारी इस पर ऐतराज जता रहे थे। कैसे रफाल का दाम यूपीए की तुलना में 41 प्रतिशत ज्यादा है।
कैसे बैंक गारंटी नहीं देने से रफाल विमान की कीमत बढ़ जाती है। द हिन्दू की सारी रिपोर्ट पढ़ें। उसमें रफाल से संबंधित टेक्निकल बातें नहीं हैं जो सीक्रेट होती है। अगर सरकार को वाकई लहता है कि रफाल की तननीकि जानकारी से संबंधित सीक्रेट आउट हुआ है तो उसे तत्काल सौदा रद कर देना चाहिए। इन सब खबरों को हिन्दी अखबारों ने अपने यहां नहीं छापा। उसके चमचे संपादकों का एक ही लक्ष्य है। सरकार से सवाल करने वाली हर जानकारी की सीक्रेट फाइल बनाकर रख लो। छपो मत। एन राम ने कहा है कि वह अपने सोर्स को लेकर गंभीर हैं। उसके बारे में जानने का कोई प्रयास भी न करें। सीक्रेट आउट होने पर ही घोटाला आउट होता है।।
रवीश कुमार
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)