चिदम्बरम : जैसी करनी वैसी भरनी!

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भारतीय राजनीति में बवाल इतने होते है कि आम आदमी की याददास्त हल्की पड जाती है। चिदंबरम के साथ जो हुआ है, मंगलवार की शाम को वे जमानत नहीं मिलने पर जैसे लापता हुए और सीबीआई ने उन के घर पर लुकऑउट नोटिस लगाया तो इस सबके साथ याद किया जाना चाहिए कि जब चिदंबरम गृहमंत्री थे तो उन्होंने तब कैसे गुजरात के गृह राज्य मंत्री और आज देश के गृहमंत्री अमित शाह को किस तरह के मामलों फंसाया था। अदालती व्यवस्था से ही अमित शाह के गुजरात में प्रवेश पर रोक लगवा दी थी।

चिदंबरम के मामले में आरोप भारत के मौजूदा गृहमंत्री अमित शाह या नरेंद्र मोदी ने नहीं लगाए हैं। चिदंबरम पर शक की सुई उनके मंत्री रहते हुए उन्हीं की सरकार के दौरान सीबीआई और ईडी की जांच पडताल के वक्त बनी थे| इसलिए राजनीतिक तौर पर कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी का यह आरोप हास्यास्पद है कि चिदंबरम को राजनीतिक विद्वेष के कारण परेशान किया जा रहा है | सारा देश यह जानने को आतुर है कि मनमोहन सिंह सरकार में किस किस मंत्री ने क्या धांधली की और उस का हिस्सा कहा -कहा पहुंचता रहा है | चिदंबरम के साथ कमलनाथ का भांजा रतुल पुरी तो अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले में गिरफ्तार कर लिया गया है |

असल में पी. चिदंबरम के खिलाफ आईएनएक्स मीडिया घोटाले का मामला 2007 में सामने आया था। तब वह वित्त मंत्री थे। हुआ यह कि आईएनएक्स मीडिया ने 13 मार्च 2007 को 4.62 करोड़ विदेशी निवेश और अन्य स्रोतों से 350 करोड़ डाऊन स्ट्रीम इन्वेस्टमेंट लाने के लिए इन्वेस्टमेंट प्रोमोशन बोर्ड (एफआईपीबी) आवेदन किया था | यह इन्वेस्टमेंट मोरीसश से तीन कम्पनियों से आना थी | एफआईपीबी की मंजूरी के लिए आईएनएक्स मीडिया के मालिक पीटर मुखर्जी और उनकी पत्नी इंद्राणी मुखर्जी ने पी.चिदंबरम से मुलाकात की ताकि उनके आवेदन में किसी तरह की देरी नही हो |

ऍफ़आईपीबी ने 30 मई 2007 को 4.62 करोड़ के विदेशी निवेश को मंजूरी दे दी , लेकिन डाऊन स्ट्रीम इन्वेस्टमेंट का प्रस्ताव नामंजूर हुआ क़ानून उस की इजाजत नहीं देता था | इस के बावजूद पी.चिदंबरम के आशीर्वाद से आईएनएक्स ने 4.62 करोड़ की मंजूरी के बदले 305 करोड़ का विदेशी निवेश लिया जिसमें 26 करोड़ रुपए डाऊन स्ट्रीम इन्वेस्टमेंट भी लिया |

जब आयकर विभाग ने 26 मई 2008 को नोटिस जारी किया तो इन्द्रानी मुखर्जी ने फिर पी. चिदंबरम से मुलाक़ात की , तब उनके बेटे कार्ति चिदंबरम ने आयकर अधिकारियों से मुलाक़ात कर मामला रफा दफा करवाने का दबाव डाला | डेढ़ महीने बाद 15 जुलाई 2008 को आईएनएक्स ने कार्ति चिदंबरम की कम्पनी एडवांटेज स्ट्रेटजिक कंसलटिंग को 10 लाख रूपए अदा किए | अब सरकारी गवाह बन चुकी इंद्राणी मुखर्जी ने कहा है कि पी. चिदंबरम ने 10 लाख रूपए की मांग की थी | सीबीआई इस मामले में उनके बेटे कार्ति चिदंबरम को भी गिरफ्तार कर चुकी है जो कथित तौर पर दलाल की भूमिका में था। वह फिलहाल जमानत पर हैं और कांग्रेस का ही लोकसभा सदस्य है |

चिदंबरम अग्रिम जमानत याचिका से बार-बार एजेंसियों के घेरे से बचे हुए थे। आखिर मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया | सुप्रीमकोर्ट भी राहत देता दिखाई नहीं देता। सिब्बल की यह दलील बेकार गई कि चिदंबरम कहीं भाग नहीं रहे जो सीबीआई ने उनके घर पर नोटिस चिपका दिया है |

खबर तो यहाँ तक है कि चिदंबरम के खिलाफ कई केस खुलने वाले हैं। जिनमें से एक तो पनामा पेपर लीक का भी है , जिस में खुलासा हुआ था कि चिदंबरम किस तरह बड़ी कम्पनियों से अपने पारिवारिक ट्रस्ट प्लानिप्पा चेरिटेबल ट्रस्ट में बड़ी बड़ी रकमें लेते थे ऐसे आरोपों के अलावा यों भी चिदंबरम और उनके बेटे की सपंत्ति की सूची कई दिनों से सोशल मीडिया में घूम रही है |

अजय सेतिया
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं…

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