कोरोना कहर : 700 वर्ष में पहली बार नही लगेगा माता मालिदें मेला 

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सुहागिन माता सती मठ में चढाती है पकवान व सुहाग जोड़ा, उमड़ती थी भीड़

मालिदें मेले में हर वर्ष विवाहिता माता को तरह के पकवान और कपडे व जेवरात चढा पति की दीर्घायु की कामना करती थी। वही पुत्र. रत्न की प्राप्ति की भी मन्नत मांगी जाती थी। किदंवती है सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद को माता पूरी करती हैं। इस मेले में दिल्ली यूपी हरियाणा से भक्त माता के दरबार में आते थे। धौलाना के गांव समाना के निकट नंगला काशी की गोशाला के सामने विशाल मैदान में सती माता का मन्दिर और मठ स्थापित है। कहा जाता कि माता का जन्म 853 वर्ष पूर्व हरियाणा प्रांत जिला रोहतक के गांव चिडिचांदी में सूरजमल कुशवाह और चंद्रवती के घर हुआ था। जन्म से ही माता शांत चित और धार्मिक थीं माता का बचपन का नाम कपूरी था। इनका विवाह जनपद हापुड के गांव देहरा जो मुस्लिम बहुल हो चुका है के रणवीर सिंह के पुत्र अमर सिंह से हुआ था। अमर सिंह दिल्ली के राजा की सेना में सिपाही था। जिस दिन माता की डोली अपनी ससुराल देहरा पहुंची।

ठीक उसी समय पति अमर सिंह का सेना ने बुलावा आ गया और वह युद्व करने चले गए। बताते है कि जाते जाते अमर सिंह ने अपनी पत्नी का नाम कपूरी से बदलकर मालिदें रख दिया। उधर युद्व के दौरान अमर सिंह वीरगति को प्राप्त हो गए। अमर सिंह के वीर गति प्राप्त करते ही माता मालिदें के सपने में सब दिखाई दे गया। उन्होने श्रंगांर करना छोड सारी बाते अपनी ससुराल वालो को बताई। उसके बाद से उनकी नंद उनको परेशान करने लगी। माता तो सिर्फ अपने पति के अतिंमं दर्शन करने की बाट जोह रही थी। ठीक चार दिन बाद कुछ सिपाही अमर सिंह के शव को लेकर पहुंचे। माता की बताई गई सभी बातो की सत्यता देख ससुराल वाले हैरत में रह गए। अंत समय में भी चिता पर सती होने बैठी माता से नंद ने कहा कि देवी बनी फिरती है, अगर इतनी सती है तो स्ंवय चिता में आग लगा। उसके बाद माता ने आसमान की ओर हाथ उठाकर स्मरण किया। हथेली रगड कर आग उत्पन्न कर चिता में आग लगाकर सती हो गई।

प्रत्येक वैशाख शुदी पंचमी को ग्राम कमरूद्वी नगर, समाना, नगला कांशी, नगला गज्जू, और नगला छज्जू के ग्रामीणो के सहयोग से प्रत्येक वर्ष सती माता मालिदें का विशाल मेला लगता था। जिसमें हरियाणा, दिल्ली से भक्त गण आकर माता का गुणगान करते थे। गांव निवासी किसान नेता किशन शिशोदिया, लाला अनिल, हरिओम चौहान प्रधान, अजय राणा, धर्मवीर चौहान, यशवीर सिंह, पुरूषोत्तम तोमर, एडो अनिल शर्मा, बताते है कि सती माता के मठ में सुहागिन व माता का श्रंगार चढा अपने सुहाग की लबी आयु की कामना करती है। वही माता अपने पुत्रो की सलामती के लिए भी दुआ मागंती है। लेकिन इस बार कोरोना कहर के चलते माता मालिदें मेला नही लगेगा। जो 700 वर्ष में पहली बार हो रहा है। किदवंती है कि माता से सुहाग की लबी आयु मागनें पर वह फलिभूत होती है। वही मेले में समाना कुण्ड में नहाने से सारे चर्म रोग दूर हो जाते है। मेले में माता के दर्शन व आर्शिवाद लेने के लिए सुहागिनो की भीड उमडती है। मेले में ग्रामीणो के लिए तरह तरह के मनोरंजन झूले आदि की व्यवस्था की जाती थी। लेकिन इस बार माता मालिदें का मेला स्थल पूरी तरह सुनसान है।

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