वैज्ञानिक कहते हैं, हमें जितनी सूचनाएं दी जाती हैं या जितनी सूचनाएं हम प्राप्त करते हैं उसमें से 99 फीसद से भी अधिक न तो हमारे काम की होती है और न ही हम उसका कोई उपयोग करते हैं। फिर भी लोग हैं कि सूचनाएं हमारे दिलों-दिमाग में उड़ेलते रहते हैं। कान और दिमाग नहीं हुए, कुड़ादान हो गए। अब आप इमस सूचना का क्या करें कि अमुक अभिनेत्री आजकल अमुक अभिनेता के साथ अमुक स्थान पर, ऐसे छुट्टियां मना रही है। अमुक तेना अमुक के साथ चाय पी रहा है या अमुक के साथ झूला झूल रहा है। हमें तो अपनी ही निबेड़ने से फुर्सत नहीं तो किसी और का क्या हिसाब रखें? जब हमने तोताराम से पूछा- तोताराम, जब मांगे और बिना मांगे, चाहे बिना चाहे सूचनाएं सुनामी की तरह डरा रही हैं तो फिर सूचना के अधिकार की क्या जरूरत है। जब तुम किसी के महंगे सूट की बात करोगे तो वह तुम्हें और देने वाले का कोई न कोई विशेष मतंव्य छुपा होता है। जब तुम किसी से महंगे सूट की बात करोंगे तो वह तुम्हें अपना फटास निक्कर और मैली बनियान देखने के लिए बाध्य करेगा। जब तुम किसी के शयनकक्ष में जाना चाहोगे तो वह तुम्हें अपना पूजाघर में धकेलेगा। तुम किसी के प्रेम पत्र पढ़ना चाहोंगे तो वह तुम्हें ब्रह्मचर्य का महत्व समझाएगा। जो सूचना वह देना चाहता है उसमें तुम्हारी रुचि नहीं है और जो सूचना तुम लेना चाहते हो वह उसे छुपाना या तोड़ना-मरोड़ना चाहता है। हमने कहा-इससे यह सिद्ध होता ही है कि सही सूचना में बड़ा बल होता है। तभी तो नेता एक-दूसरे के भेद सहेजकर रखते हैं और मौका आने पर संबंधित व्यक्ति को ब्लैक मेल करते हैं। इसीलिए कुछ सूचनाओं को छुपाया जाता है तो कुछ को जोर शोर से प्रचारित किया जाता है। भामाह योजना का प्रचार तो किया जाता है लेकिन उसमें किस तरह अस्पताल और रोगी में बिना इलाज के ही 80 फीसद और 20 फीसद का कागजी बंटवारा हो जाता है, इसे कोई उजागर नहीं होने देना चाहता। अब जब निजी कंपनियों द्वारा जांच शुरू हो गई तो निजी अस्पताल बिफरे पड़े हैं। वैले सूचनाएं तो गूगल पर भी बहुत सी होती है। बोला- तू समझता है कि गूगल पर सभी सूचनाएं हैं। जो चाहे ले ले और उसका उपयोग कर ले। तुझे पता होना चाहिए कि उस पर भी सरकारें नियंत्रण चाहती है। चीन ने गूगल से कहा है कि तुम्हें चीन में तभी धंधा करने दिया जाएगा जब तुम कुछ वर्जित और जनविरोधी सूचनाओं से हमारी जनता को बताओंगे। हमने पूछा – ऐसी कौन सी सूचनाएं हो सकती हैं? बोला- जैसे मानवा धिकार, शान्तिपूर्ण प्रदर्शन, लोकतंत्र, धर्म आदि। हमने कहा -तब तो हमारे यहां भी सूचना की जन्नत के कुछ फल वर्जित घोतिष कर दिए जाने चाहिए जैसे पुराण- कथाओं में विज्ञान पर शंका, गांधी-नेहरू का देश के लिए योगदान, हिन्दुओं के अतिरिक्त किसी अन्य धर्म वाले की उदारता, सज्जनता और देशभक्ति के उदाहरण आदि।
यदि नेहरू-गांधी के बारे में कुछ जानना ही है तो राजीव दीक्षित के कैसेट सुनो। वही श्रवणीय है, वही उनके बारे में आधिकारिक सूचना मानी जाए, शेष सब कांग्रेस का दुष्प्रचार है। बोला- फिर भी यदि मुझे औचट है तो कर चर्चा लड़ अंधविश्वास और झूठे प्रचार से लेकिन इतना याद रखना, ज्यादा उछलेगा तो अग्निवेश की तरह नागरिक अभिनंदन हो जाएगा या कलबुर्गी और दाभोलकर की तरह कोई हादसा। विज्ञापन नहीं सुना, मर्जी है आपकी, सिर है आपका। वैसे ही ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है आपकी और जिन्दगी भी है आपकी।’
लेखक
रमेश जोशी
It annoys Amy as she thinks that his behaviour is
not gentlemanly. It’s hard to alter a habit if your teen’s
behaviour is not reliable. For most of us, irritation usually involves people.
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