बहुत पुरानी बात है किसी नगर में एक राजा राज करते थे। एक बार राजा की रानी बीमार पड़ गई। राजा ने अपने वजीर से कहा राज्य में जितने भी हकीम, वैध, ज्योतिष, तांत्रिक, पंडित जी, भक्त जी हैं उन सबको यह मनादी करा दो कि रानी बीमार है आकर जांच पड़ताल करें और जो भी अच्छी से अच्छी औषधि हों उसे लाकर दे जिससे रानी बिल्कुल स्वस्थ हो जाए। राजा का हुक्म था सभी बड़े बड़े चिकित्सक आते और उन्होंने रानी बारी से चेकअप किया। परंतु वह सब फेल साबित हुए। किसी भी डाक्टर, हकीम वैध ज्योतिष तांत्रिक पंडित जी रानी की बीमारी का पता नहीं लगा सके। इस बात से राजा बहुत नाराज़ हुए। राजा ने सभी को जेलखाने में डलवाने का आदेश दिया। परंतु अंत में एक बहुत बुजुर्ग कुरकला जिसके गाल मुंह के अंदर पिचके हुए थे वह बहुत ज्ञानी और बुद्धिमान था। वह रानी को देखने से पहले सोचने लगा कि आखिर रानी को ऐसी कौन-सी सी बीमारी है जो इतने-इतने सारे डाक्टर वैध ज्योतिष तांत्रिक पंडित जी भक्त हकीम फेल हो गये।
उसने रानी को भली-भांति चेक किया तो रानी एकदम सही थी। उसके गुलाबी होंठ, गुलाबी गाल थे। वह समझ गया कि रानी बीमार नहीं है बल्कि बहाने बनाने का ढोंग कर रही है। अब उस बुजुर्ग कुरकला डाक्टर ने एक बात राजा को बताया कि रानी बहुत बीमार है यह तभी ठीक होंगी जब हमारे राज्य में किसी सुखी इंसान का कोई साफ कपड़ा इन्हें पहनने को मिले। राजा बोला बस इतनी सी बात है हम अभी अपने राज्य से किसी सुखी इंसान का कोई कपड़ा मंगवाते हैं। तभी राजा ने अपने सैनिकों को आदेश दिया कि जाओ और किसी सुखी इंसान से नया कपड़ा लेकर आओ जिससे रानी जल्दी बिल्कुल सही हो सके। सभी सैनिक चल दिए। सुबह से शाम हो गई परन्तु उन्हें कोई सुखी इंसान नहीं मिला। सभी सैनिक भयभीत थे कि अब राजा उन्हें फांसी पर लटका देगा। शाम का समय था रास्ते में एक गरीब किसान अपने खेत में हल जोत रहा था और खुशी से झूम कर गीत गा रहा था, ऐ मेरे देश की धरती उगले हीरे मोती, मेरे देश की धरती।
सैनिकों ने किसान से पूछा आप बहुत खुश हैं किसान बोला मैं बहुत खुश हूं। सैनिकों ने कहा आप हमें एक नया कपड़ा दे दो हमें राजा की रानी के लिए चाहिए वह बहुत बीमार है। सुखी इंसान का कोई भी कपड़ा पहनने से वह ठीक हो जायेंगी। किसान बोला भाई मेरे पास केवल धोती है मैं इसमें ही जीवन व्यतीत करता हूं मेरे पास आपको देने के लिए और कोई कपड़ा नहीं हैं। सैनिक उसे जबरदस्ती राजा के पास ले आते सारी बात बताई। तब राजा समझा कि रानी बीमार नहीं अपितु नाटक कर रही है। राजा की अपने राज्य की दूरदशा देखकर आंखें खुली कि उसके राज्य में केवल एक सुखी इंसान हैं जिसके पास धन दौलत तो दूर पहनने के लिए एक धोती है फिर भी वह खुश हैं। प्यारे दोस्तों आई बात समझ में कुछ ऐसा ही हाल हमारा भी है। आज के समय में आपको खुश रहना है। दाल रोटी खाओं, प्रभु के गुण गाओं।
प्रस्तुतकर्ता सुदेश वर्मा एच आर मैनेजर सुभारती मीडिया लिमिटेड मेरठ।