ओवल में ऐसे किया भारत ने पलटवार

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कौन कह सकता था कि ओवल में भारत-इंग्लैंड के बीच खेले गए चौथे टेस्ट मैच में पहली पारी के आधार पर 99 रन से पिछडऩे के बाद भारतीय टीम ऐसी दमदार वापसी करेगी। लेकिन भारतीय टीम ने जोरदार वापसी करते हुए इंग्लैंड के सामने जीत के लिए दूसरी पारी में 368 रन का विशाल लक्ष्य रखा जिसके सामने इंग्लैंड की टीम महज़ 210 रनों पर ढेर हो गई। ओवल टेस्ट में 157 रनों से मिली जीत ने साबित कर दिया है कि पिछले कुछ समय से वह उलटफ़ेर करने में माहिर हो चुकी है, ख़ासकर अपने ऑस्ट्रेलियाई दौरे के बाद। कमाल की बात है कि भारत की जीत में गेंदबाज़ों का योगदान तो रहा ही है, साथ ही पुछल्ले बल्लेबाज़ों ने भी जमकर बल्लेबाज़ी की है। ओवल टेस्ट में मोहम्मद शमी की जगह टीम में शामिल किए गए आलराउंडर शार्दुल ठाकुर ने दोनों पारियों में शानदार अर्धशतक बनाकर भारत के टॉप आर्डर को आईना भी दिखाया कि इंग्लैंड के गेंदबाज़ों के खिलाफ़ स्वभाविक रूप से खेलते हुए भी रन बनाए जा सकते हैं।

ओवल में दूसरी पारी में भारत के सलामी बल्लेबाज़ रोहित शर्मा ने 127 रनों की शतकीय पारी खेली जबकि चेतेश्वर पुजारा ने भी 61 रनों की महत्वपूर्ण पारी खेली। इसके बाद कप्तान विराट कोहली के 44, ऋषभ पंत के 50 और शार्दुल ठाकुर के तेजतर्रार 60 रनों की मदद से 466 रन बनाकर भारत ने पहले तो अपने सिर पर मंडराते हार के ख़तरे को दूर किया और उसके बाद गेंदबाज़ों ने वह काम कर दिखाया जिसके लिए वह जाने जाते हैं। वैसे मैच के पाँचवें और अंतिम दिन लंच के समय तक इंग्लैंड का स्कोर दो विकेट खोकर 131 रन था, लेकिन उसके बाद चायकाल तक भारत के गेंदबाज़ों ने उनकी बल्लेबाज़ी की रीढ़ की हड्डी तोड़ दी। पूरी सिरीज़ में चर्चा में रहने वाले और बहुत कम ओवर करने वाले खब्बू स्पिनर रविंद्र जडेजा ने गेंदबाज़ी में एक छोर संभाले रखा। वह वैसे भी एक ही लाइन और लैंग्थ से गेंद करने के लिए जाने जाते हैं जिसका नतीजा यह निकला कि इंग्लैंड के बल्लेबाज खुलकर नहीं खेल सके और उनके रन बनाने की गति धीमी हो गई।

हसीब हमीद जो कि अपना अर्धशतक पूरा कर चुके थे उनकी बल्लेबाज़ी का तो यह आलम था कि वह शॉर्ट पिच और फ़ुल टॉस गेंद को भी रक्षात्मक रूप से खेल रहे थे। उनकी ऐसी बल्लेबाज़ी को देखकर कॉमेंट्री कर रहे सुनील गावस्कर भी कह उठे कि टीम प्रबंधन ने शायद उन्हें कह रखा है कि आप टिके रहो रन दूसरे छोर का बल्लेबाज़ बनाएगा। लेकिन उनकी यह रणनीति काम नहीं आई और जो विकेट एक समय रन बनाने और बल्लेबाज़ी के लिए आसान लग रही थी उसी विकेट पर अचानक विकेट गिरने का जैसे पतझड़ लग गया। भारत की इस विशाल जीत की वजह क्या है और क्यों भारतीय टीम इसकी हक़दार बनी? इस सवाल का सीधा जवाब दिया पूर्व बल्लेबाज और चयनकर्ता रहे अशोक मल्होत्रा ने दिया कि इंग्लैंड की दुकान में माल ही नहीं है। उन्होंने कहा, कप्तान रूट के अलावा टीम में कोई भी भरोसेमंद बल्लेबाज़ नहीं है। दूसरी तरफ़ भारत के पास मैच जिताऊ गेंदबाज़ हैं। भारत की टीम इस समय इंग्लैंड से अव्वल है। उमेश यादव को ही लो, वह इतने लम्बे समय बाद टीम में आए लेकिन उन्हें गेंदबाज़ी करते हुए देखकर लगा ही नहीं कि वह टीम से बाहर गए हैं।

भारत का गेंदबाज़ी आक्रमण शानदार है। अजिंक्य रहाणे को चेताते हुए उन्होंने कहा, अगले मैच में टीम से बाहर तो नहीं होंगे लेकिन उन्हें अब चौकन्ना यानि सावधान होना होगा। पांच टेस्ट मैच की सिरीज़ में वह एक शतक के सहारे टीम में बने नहीं रह सकते। इंग्लैंड की हार के कारण को लेकर अशोक मल्होत्रा ने कहा, उनके गेंदबाजों को अगर विकेट से मदद ना मिले तो वह बेहद साधारण हो जाते हैं चाहे वह एंडरसन हों या रॉबिंसन और ओवरटन। उनकी टीम में कोई भी तेज़ गति वाला गेंदबाज़ नहीं है जिसकी कमी उन्हें खली। मोईन अली ने अच्छी गेंदबाज़ी की, लेकिन लगता है कप्तान रूट को मोईन पर अधिक भरोसा नहीं है जिसके चलते उनसे कम गेंदबाज़ी करवाई गई।

वहीं वरिष्ठ खेल पत्रकार अयाज़ मेमन कामयाबी का सेहरा तेज़ गेंदबाज़ों के सिर बांधते हुए कहते हैं, बुमराह ने अपने सौ टेस्ट विकेट इस मैच में पूरे किए तो शार्दुल ठाकुर और उमेश यादव ने भी विकेट झटके, यानी सबने मिलकर काम किया। अयाज़ मेमन ने कहा, ओवल में जीत बड़ी कशमकश के बाद मिली हैं क्योंकि भारत लीड्स में एक पारी और 76 रन से हार गया था। शार्दुल ठाकुर ने अपने चयन को सही साबित किया भले ही उनका योगदान गेंद से ज़्यादा बैट से रहा। मैन ऑफ़ द मैच में उनके और रोहित शर्मा के बीच कड़ी टक्कर हुई। रोहित शर्मा विदेश में शतक लगाने में कामयाब हुए। अब आखिऱ में सिरीज़ के परिणाम को लेकर अयाज मेमन कहते हैं, यह सही है कि अब भारत सिरीज हार नहीं सकता लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इंग्लैंड सिरीज को बराबर नहीं कर सकता, लेकिन इसके लिए कप्तान रूट को वैसी ही दृढ़ता दिखानी होगी जैसी उन्होंने पहले दिखाई थी।

आदेश कुमार गुप्त
(लेखक खेल पत्रकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)

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