आज जैसे ही तोताराम आया, हमने कहा- तोताराम, अभी तू घर जा और जरा ढंग के कपड़े पहनकर आ। बोला-‘ढंग के कपड़े’ से तेरा क्या मतलब है ? इन कपड़ों में क्या बुराई है? क्या यह मोदी जी द्वारा ओबामा को चाय पिलाने जैसा कोई विशेष अवसर है जो पन्द्रह लाख का सूट पहनना ज़रूरी है? दो रुपए की चाय के लिए इतने नाटक? यह तो वैसा ही तमाशा है जैसे कि आजकल उम्मीदवार नामांकन के लिए भी इस तरह रोड शो करते हुए जाते हैं, जैसे कि कोई दिग्विजय करके आए हो। हमने कहा- आज हम तेरा इंटरव्यू लेना चाहते हैं। बोला- तू सत्तर बरसों से हमें जानता है। इंटर और आउटर सभी तरह के व्यू देख चुका है।
अब और कौनसा व्यू बाकी रहा गया है? और फिर मेरे लिए नेताओं की तरह यह कौनसा चुनाव का मौसम है कि साक्षात्कार के द्वारा अपनी इमेज बनाऊं। हमने कहा- जा, जऱा तैयार होकर आ। इस अतिरिक्त कष्ट के लिए चाय के साथ तुझे मिठाई भी मिलेगी। खैर, तोताराम तैयार होकर आया और हमने बरामदे की बजाय कमरे में अड्डा जमाया ताकि पोती हमारा फोटो भी ले सके क्योंकि आजकल फोटो के बिना कोई बात विश्वसनीय लगती ही नहीं। सोचते हैं जब फोटो की कला थी ही नहीं या फोटो की सुविधा बहुत कम थी तब यह दुनिया कैसे चलती होगी? तोताराम ने कहा – इंटरव्यू से पहले मैं कुछ प्रश्न दूंगा और तुझे वे ही प्रश्न पूछने होंगे।
हमने कहा-तोताराम, इंटरव्यू इस तरह नहीं होते यदि इस तरह पहले ही प्रश्न देकर इंटरव्यू देना है तो प्रसून जोशी, अर्णव गोस्वामी या अक्षय कुमार से बात कर ले। बोला ठीक है, जैसी तेरी मर्जी। हम- तोताराम जी, आपके इस उम्र में भी इतने स्लिम और स्मार्ट बने रहने का क्या रहस्य है? छप्पन इंच की जगह अब भी आपका सीना 28 इंच का ही बना हुआ है। आप अपनी फिटनेस के लिए कौनसा पंच तत्तव योगा करते है? तोताराम- पंच तत्तव या तत्वहीन, जैसा भी योगा लोग करते हैं वे वास्तव में वियोगी लोग हैं। हमारी तो कम उम्र में शादी हो गई, दूसरे हमें पत्नी के कठोर शासन से मुक्त होने का अवसर नहीं मिला, तीसरे हमें अधिक खाने की सुविधा नहीं मिली और चौथे हमें अपने हिन्दू होने का कोई गर्व नहीं हो सका। इसलिए हम अब तक 28 इंच के सीने वाले स्मार्ट बने हुए है।
हम- तोताराम जी, आप आम कै से खाते हैं ? तोताराम- मिले तो सही जब, जैसे, जो मिले खा जाते हैं। और कच्ची हो तो गुठली तह खा जाते हैं। हम- क्या आपको डाल पर पका हुआ आम पसंद है? तोताराम- किसे पसंद नहीं डाल पर पका हुआ आम? लेकिन आम को पकने तक डाल पर छोड़ता ही कौन है ? हम- यदि आपको थोड़ा कम पका आम मिले तो आप क्या करते हैं ? क्या आप उसके पकाने का इंतजार करते हैं या उसे थोड़ा कच्चा ही खा लेते हैं ? बोला- हमें इंतज़ार करने की ज़रूरत नहीं। हम अब चाहे डाल पर लगे आम को अपनी मर्जी से फटाफट पका देते हैं। हम- यह तो बहुत अद्भुत तकनीक है। क्या आप हमारे दर्शकों को बताएंगे कि आप यह कैसे करते हैं? तोताराम- हम पेड़ के नीचे खड़े होर कविता-पाठ करते हैं तो कुछ देर में आम पककर गिर पड़ता है जैसे कि मोदी जी की ‘मन की बात’ से पककर श्रोता उनके सामने समर्पण कर देते हैं।
रमेश जोशी
लेखक व्यंगकार हैं