बरसात जब भी झूम के बरसने लगती है तो कुछ आफतें भी अपने साथ लेकर आती है। जहां किसान मानसून की पहली बरसात का इंतजार करता रहता है कि बरसात हो तो अपने खेतों में जाकर बोनी करूं। बरसात के भी अपने अलग-अलग सुख-दुख हैं। जब बरसात शुरू होती है तो बिरहनें व्याकुल हो जाती हैं कि उनके परदेस गए पिया कब लौटेंगे। फिर लौटेंगे तो कुशलतापूर्वक या किसी बाद में फंस जाएंगे। यकीन मानिए जब तक उनके पियाजी अपने घर नहीं लौट आते, तब तक उनकी आंखें उनके आने की राह ही तकती रहती है।
एक गृहिनी घर का सारा सामान लेने बाजार गई है, अचानक बरसात शुरू हो जाने पर उसे मजबूरन किसी साड़ी की दुकान में घुसना पड़ता है। फिर वह सेल्समेन को साडिय़ां दिखाने के लिए कहती है। वह एक-एक करके साडिय़ां देखती जाती है, दूसरी तरफ उसकी नजर बाहर सड़क पर होती है कि बरसात रुके तो वह कोई बहाना बनाकर दुकान में से बाहर निकले। सेल्समेन उसकी बाहरी नजर पर अपनी नजर रखकर ताड़ जाता है कि मैडम सडिय़ां देखकर महज टाइम पास कर रही है, लेकिन उसकी व्यथा यह है कि उसको तो अपना काम को सही ढंग से अंजाम देना ही है। सरकारी विभाग के परियोजना अधिकरी के लिए बरसात वरदान होती है। जिस अधिकारी के परियोजना क्षेत्र की नदी में बाढ़ आती है, वे नाचते झमते हुए इस बरसात उत्सव को मनाते हैं।
इस बारिश में केवल उनके भ्रष्टाचार की फाइलें ही नहीं बह जाती, बल्कि मंत्री, नेताऔर वरिष्ठ अधिकारी बाढग़्रस्त क्षेत्र का हवाई दैरा करने भी आते हैं। फिर जिस परियोजना अधिकारी के कार्यक्षेत्र में ऐसे हवाई दौरे होते हैं, उनकी तो मंत्री सेलकर बड़े अधिकारियों तक हवा बन जाती है। बड़े लोगों की आवभगत करने में उनके कई रुके काम जैसे भुगतान के लिए पंडिग पड़े बिल भी आसानी से पास हो जाते हैं। जिन परियोजना अधिकारियों के क्षेत्र में पर्याप्त बरसात नहीं होती, वे अपने क्षेत्र को सुखाग्रस्त घोषित करवाकर सरकार से बड़ी राशि सुखाग्रस्त राहत कार्यों के लिए स्वीकृत करवा लेते हैं, इस राहत राशि से उनको भी बड़ी मात्रा में राहत मिल जाती है।